कबीर साहेब की लीला..
शेखतकी की मृत लड़की को जीवित करना
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शेखतकी ने देखा कि यह कबीर तो किसी प्रकार भी काबू नहीं आ रहा है। तब से अब तक की ने जनता से कहा कि यह कबीर तो जादूगर है। ऐसे ही जंतर-मंतर दिखा कर इसने बादशाह सिकंदर की बुद्धि भ्रष्ट कर रखी है। सारे मुसलमानों से कहा कि तुम मेरा साथ दो,वरना बात बिगड़ जाएगी। भोले मुसलमानों ने कहा पीरजी हम तेरे साथ हैं, जैसे तू कहेगा ऐसे ही करेंगे। शेख तकी ने कहा इस कबीर को तब प्रभु मानेंगे जब मेरी लड़की को जीवित कर देगा जो की कब्र में दबी हुई है।
पूज्य कबीर साहेब से प्रार्थना हुई। कबीर साहेब ने सोचा यह नादान आत्मा ऐसे ही मान जाए।(क्योंकि यह सभी जीवात्मा है कबीर साहेब के बच्चे हैं। यह तो काल ने धर्म का हमारे ऊपर कवर चढ़ा रखा है। एक दूसरे के दुश्मन बना रखे हैं।) शेखतकी की लड़की का शव कब्र में दबा रखा था। शेखतकी ने कहा कि यदि मेरी लड़की को जीवित कर दे तो हम इस कबीर को अल्लाह स्वीकार कर लेंगे और सभी जगह ढिंढोरा पिटवा दूंगा कि कबीर जी भगवान हैं। कबीर साहिब ने कहा कि ठीक है। वह दिन निश्चित हुआ। कबीर साहिब ने कहा कि सभी जगह सूचना दे दो कहीं फिर किसी को शंका न रह जाए। हजारों की संख्या में वहां पर भगत आत्मा दर्शनार्थ एकत्रित हुई। कबीर साहेब ने कब्र खुदवाई। उसमे एक 12-13 वर्ष की लड़की का शव रखा हुआ था। कबीर साहिब ने शेखतकी से कहा कि पहले आप जीवित करलो। सभी उपस्थित जनों ने कहा कि महाराज जी यदि इसके पास कोई ऐसी शक्ति होती तो अपने बच्चे को कौन मरने देताहैं? अपने बच्चे की जान के लिए व्यक्ति अपना तन मन धन देता है। उपस्थित लोगों ने कहा कि- हे दीन दयालु आप कृपा करो। पूज्य कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि एक तकी की लड़की जीवित हो जा। तीन बार कहा लेकिन लड़की जीवित नहीं हुई। शेख तकी ने तो भंगडा पा दिया। नाचे कूदे कि देखा न पाखंडी का पाखंड पकड़ा गया। कबीर साहेब उसको नचाना चाहते थे कि इसको नाचने दे।
कबीर- राज तजना सहज हैं, सहज त्रिया का नेह।
मान बढाई ईर्ष्या, दुर्लभ तजना ये।।
कबीर साहेब कहते हैं- कि मान बड़ाई ईर्ष्या का रोग बहुत भयानक है। अपनी लड़की के जीवित होने का दुख नहीं, बल्कि कबीर साहिब की पराजय की खुशी मना रहा है नादान!!कबीर साहिब ने कहा कि बैठ जाओ महात्मा जी, शांति रखो। कबीर साहिब ने आदेश दिया है जीवात्मा जहां भी है कबीर हुक्म से इस शो में प्रवेश करो और बाहर आओ।
कबीर साहिब का कहना ही था कि इतने में शव में कंपन हुआ और वह लड़की जीवित होकर बाहर आई, कबीर साहेब के चरणों में दंडवत प्रणाम किया और खड़ी हो गई।
कबीर साहेब की जय हो
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