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ब्रह्म साधक का चरित्र

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‘‘ ऋषि चुणक द्वारा मानधाता के विनाश की कथा ‘‘ कथा प्रसंग: गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) ने गीता अध्याय 7 श्लोक 16-17 में बताया है कि मेरी भक्ति चार प्रकार के भक्त करते हैं - 1. आर्त (संकट निवारण के लिए) 2. अर्थार्थी (धन लाभ के लिए), 3. जिज्ञासु (जो ज्ञान प्राप्त करके वक्ता बन जाते हैं) और 4. ज्ञानी (केवल मोक्ष प्राप्ति के लिए भक्ति करने वाले)। इनमें से तीन को छोड़कर चैथे ज्ञानी को अपना पक्का भक्त गीता ज्ञान दाता ने बताया है। ज्ञानी की विशेषता:- ज्ञानी वह होता है जिसने जान लिया है कि मनुष्य जीवन केवल मोक्ष प्राप्ति के लिए ही प्राप्त होता है। उसको यह भी ज्ञान होता है कि पूर्ण मोक्ष के लिए केवल एक परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए। अन्य देवताओं (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिवजी) की भक्ति से पूर्ण मोक्ष नहीं होता। उन ज्ञानी आत्माओं को गीता अध्याय 4 श्लोक 34 तथा यजुर्वेद अध्याय 40 मन्त्र 10 में वर्णित तत्वदर्शी सन्त न मिलने के कारण उन्होंने वेदों से स्वयं निष्कर्ष निकाल लिया कि ‘‘ब्रह्म’’ समर्थ परमात्मा है, ओम् (ऊँ) इसकी भक्ति का मन्त्र है। इस साधना से ब्रह्मलोक प्राप्त हो...

रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शंकर (शिव) की पूजा (भक्ति) नहीं करनी चाहिए?

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कहा प्रमाण है कि रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शंकर (शिव) की पूजा (भक्ति) नहीं करनी चाहिए? उत्तर: श्री मद्भगवत गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15, 20 से 23 तथा गीता अध्याय 9 श्लोक 23-24, गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 में प्रमाण है कि जो व्यक्ति रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव की भक्ति करते हैं, वे राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले मूर्ख मुझे भी नहीं भजते। (यह प्रमाण गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 में है। फिर गीता अध्याय 7 के ही श्लोक 20 से 23 तथा गीता अध्याय 9 श्लोक 23-24 में यही कहा है और क्षर पुरुष, अक्षर पुरुष तथा परम अक्षर पुरुष गीता अध्याय 15 श्लोक 16-17 में जिनका वर्णन है), को छोड़कर श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु तथा श्री शिव जी अन्य देवताओं में गिने जाते हैं। इन दोनों अध्यायों (गीता अध्याय 7 तथा अध्याय 9 में) में ऊपर लिखे श्लोकांे में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि जो साधक जिस भी उद्देश्य को लेकर अन्य देवताओं को भजते हैं, वे भगवान समझकर भजते हैं। उन देवताओं को मैंने कुछ शक्ति प्रदान कर रखी है। देवताओं के भजने वालों को मेरे द्वारा ...
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Who is god ?  कौन तथा कैसा है कुल का मालिक ? "Who is god" ? Kabir is god  कबीर साहिब जी सभी भगवानों के भगवान कुल मालिक सभी ब्राह्मणों के रचना हार है कबीर परमेश्वर तत्वज्ञान लेकर संसार में आता है वह सर्वशक्तिमान तथा सर्व सुख दाता  और पूजा करने योग्य है अनंत कोटी ब्रह्मांड का एक रति नहीं भार सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिर्ज़नहार|| कबीर साहब से शिशु रूप धारण करके लीला करता हुआ बड़ा होता है कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवी पदवी प्राप्त करता है उसे ऋषि संत कवि भी कहने लग जाते हैं वास्तव में वही पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है उसके द्वारा रची अमृतवाणी कबीर कही जाती है वह परमात्मा सतलोक के तीसरे मुक्तिधाम घूमर में सिंहासन में तेजोमय में मानव सदृश शरीर में आकार में विराजमान है वह परमात्मा साकार है उसका नाम कबीर है.. "Who is god" कबीर साहेब पूर्ण प्रभु है पवित्र ग्रंथ भी यही प्रमाणित कर रहे हैं पवित्र कुरान शरीफ में प्रमाण.. अध्याय सूरत फुरकानी  संख्या नंबर 25 आयत 52-59 में कहा कि वास्तव में पूजा के योग्य कबीर ...